पंचांग क्या होता है? इसके पांच अंग कौन-कौन से हैं
पंचांग क्या होता है? ज्यादातर लोग कहीं भी कुछ दिखाना चाहते हैं तो मंदिरों में जाते हैं कि अचार्य जी आप देखकर बताइए क्या यह ठीक है। या हम नई गाड़ी लेना चाहते हैं तो देखे कि क्या यह मुहूर्त ठीक है या नया व्यापार करना चाहते तो हम पंचांग के जरिए से जान सकते हैं। पंचांग के अंदर क्या चीज है जिसके कारण हम यह सारी जानकारी हमें पंचांग के द्वारा मिल जाती है। कोई बच्चा भी अगर पैदा होता है तो हम तुरंत कुंडली भी हम पंचांग के थ्रू बना सकते हैं। यह हम जानते हैं क्या और इसका हम लोग किस तरीके से उपयोग करते हैं जितने भी आचार्य है जितने भी पंडित जी है या जितने भी ज्योतिषाचार्य हैं पंचांग को अस्त्र शस्त्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं। जिस प्रकार कोई मिस्त्री अपने औजारों से काम करता है उसी प्रकार पंडित के लिए भी पंचांग वही काम करता है। जैसे हम कहीं भी जाते हैं और पंचांग हमारे साथ है तो हमें कोई भी कुछ चीज पूछता है कोई मुहूर्त है कोई घटना है या तुरंत कुंडली बनानी है। हम पंचांग के माध्यम से बना सकते हैं पंचांग का मतलब है पांच अंग।
आइए जानते हैं पंचांग के पांच अंग कौन-कौन से हैं
पंचांग के पांच अंग कौन-कौन से हैं। उनके बारे में जानकारी देते हैं- पहला है नक्षत्र, दूसरा है करण, तीसरा है योग चौथा है तिथि पांचवा है वार। पंचांग के पांच अंग कौन-कौन से हैं उनके बारे में जानकारी देते हैं- पहला है नक्षत्र, दूसरा है करण, तीसरा है योग चौथा है तिथि पांचवा है वार। इनको अगर हम क्रमानुसार ले तो पहला तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण। इन पांचों के माध्यम से जो भी योग बनते हैं या जो वार होता है जो तिथि आते हैं, उन के कॉन्बिनेशन से कुछ योग बनते हैं। कुछ बहुत शुभ होते हैं कुछ अशुभ होते हैं। जब कोई भी हम कार्य करने जाते हैं और उस समय तिथि का और वार का और नक्षत्र का एक और अच्छा योग बन जाता है। और यह योग शुभ योग में परिवर्तित हो जाता है। और इसे हम अमृत सिद्धि योग के नाम से जानते हैं पुष्कर योग रवि पुष्कर योग के नाम से जानते हैं। नक्षत्रों का योग अगर अशुभ बैठ जाता है और वह योग अशुभ ग्रहों में बदल जाते हैं। जैसे विषकन्या योग, ज्वालामुखी इनमें से बनते है द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग। इन में हम ज्यादातर हे हीरे जवाहरात, आभूषण खरीदना या गाड़ी खरीदना स्कूटर खरीदना चाहते हैं। तो यह कार्य द्विपुष्कर में दो बार के जाएंगे या त्रिपुष्कर में तीन बार में तीन बार होती है। नक्षत्रों से वार तिथि से जब योग बनते हैं तब यह जो इन चीजों में इस वक्त जो चीज खरीदी जाती हैं, वह जिंदगी में हम दो बार करते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर इस समय पर हानि हो जाए तो भी वह दुगनी मात्रा में होती है। अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो वह दोबारा भी हो सकती है। अधिक जानकारी क लिए यहां क्लिक करें ।